चिड़िया, ओ चिड़िया, कहाँ है तेरा घर? उड़-उड़ आती है जहाँ से फर-फर!
चिड़िया, ओ चिड़िया, कहाँ है तेरा घर? उड़-उड़ जाती है- जहाँ को फर-फर!
वन में खड़ा है जो बड़ा-सा तरुवर, उसी पर बना है खर-पातों वाला घर!
उड़-उड़ आती हूँ वहीं से फर-फर! उड़-उड़ जाती हूँ वहीं पर फर-फर!
- हरिवंशराय बच्चन
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