पराधीनता की विजय से स्वाधीनता की पराजय सहस्रगुना अच्छी है। - अज्ञात।

कभी गिरमिट की आई गुलामी

 (काव्य) 
Print this  
रचनाकार:

 जोगिन्द्र सिंह कंवल | फीजी

उस समय फीज़ी में तख्तापलट का समय था। फीज़ी के सुप्रसिद्ध साहित्यकार जोगिन्द्र सिंह कंवल फीज़ी की राजनैतिक दशा और फीज़ी के भविष्य को लेकर चिंतित थे, तभी तो उनकी कलम बोल उठी:

कभी गिरमिट की आई गुलामी
कभी बाढ़ों ने मार दिया
कभी रम्बूका कू कर बैठा
कभी स्पेट ने वार किया।

- जोगिन्द्र सिंह कंवल

[ भारत-दर्शन सितंबर-अक्टूबर २००० ]

Back

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें