अकबर से लेकर औरंगजेब तक मुगलों ने जिस देशभाषा का स्वागत किया वह ब्रजभाषा थी, न कि उर्दू। -रामचंद्र शुक्ल

सुशांत सुप्रिय की कविताएं

 (काव्य) 
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रचनाकार:

 सुशांत सुप्रिय

सुशांत सुप्रिय की कविताएं का संकलन।

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