हैं चुनाव नजदीक, सुनो भइ साधो नेता माँगें भीख, सुनो भइ साधो गंगाजल का पात्र, आज सिर धारें कल थूकेंगे पीक, सुनो भइ साधो
निकल न जाए साँप, तान लो लाठी फिर पीटोगे लीक, सुनो भइ साधो
खद्दरधारी हिरन बड़े मायावी झूठी इनकी चीख, सुनो भइ साधो
करतूतों की पोल, चौक में खोलो लोकतंत्र की सीख, सुनो भइ साधो
- डॉ.ऋषभदेव शर्मा (धूप ने कविता लिखी है, 2014)
|