परमात्मा से प्रार्थना है कि हिंदी का मार्ग निष्कंटक करें। - हरगोविंद सिंह।

प्रभु या दास?

 (काव्य) 
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रचनाकार:

 मैथिलीशरण गुप्त | Mathilishran Gupt

बुलाता है किसे हरे हरे,
वह प्रभु है अथवा दास?
उसे आने का कष्ट न दे अरे,
जा तू ही उसके पास । 

- मैथिलीशरण गुप्त

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