निज गौरव को जान आत्मआदर का करना निजता की की पहिचान, आत्मसंयम पर चलना ये ही तीनो उच्च शक्ति, वैभव दिलवाते, जीवन किन्तु न डाल शक्ति वैभव के खाते । (आ जाते ये सदा आप ही बिना बुलाए ।) चतुराई की परख यहाँ-परिणाम न गिनकर, जीवन को नि:शक चलाना सत्य धर्म पर, जो जीवन का मन्त्र उसी हर निर्भय चलना, उचित उचित है यही मान कर समुचित ही करना, यो ही परमानंद भले लोगों ने पाए ।।
चन्द्रधर शर्मा गुलेरी
[पाटलीपुत्र : ३१ अक्तूबर, १८ १४]
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