राजगोपाल सिंह की ग़ज़लें भी उनके गीतों व दोहों की तरह सराही गई हैं। यहाँ उनकी कुछ ग़ज़लें संकलित की जा रही हैं।
गज़ल
चढ़ते सूरज को लोग जल देंगे जब ढलेगा तो मुड़ के चल देंगे
मोह के वृक्ष मत उगा ये तुझे छाँव देंगे न मीठे फल देंगे
गंदले-गंदले ये ताल ही तो तुम्हें मुस्कुराते हुए कँवल देंगे
तुम हमें नित नई व्यथा देना हम तुम्हें रोज़ इक ग़ज़ल देंगे
चूम कर आपकी हथेली को हस्त-रेखाएँ हम बदल देंगे
- राजगोपाल सिंह |