हिंदी का पौधा दक्षिणवालों ने त्याग से सींचा है। - शंकरराव कप्पीकेरी

बिहारी के दोहे | Bihari's Couplets

 (काव्य) 
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रचनाकार:

 बिहारी | Bihari

रीति काल के कवियों में बिहारी सर्वोपरि माने जाते हैं। सतसई बिहारी की प्रमुख रचना हैं। इसमें 713 दोहे हैं। बिहारी के दोहों के संबंध में किसी ने कहा हैः

सतसइया के दोहरा ज्यों नावक के तीर।
देखन में छोटे लगैं घाव करैं गम्भीर।।

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नहिं पराग नहिं मधुर मधु नहिं विकास यहि काल।
अली कली में ही बिन्ध्यो आगे कौन हवाल।।

कोटि जतन कोऊ करै, परै न प्रकृतिहिं बीच।
नल बल जल ऊँचो चढ़ै, तऊ नीच को नीच।।

कब को टेरत दीन ह्वै, होत न स्याम सहाय।
तुम हूँ लागी जगत गुरु, जगनायक जग बाय।।

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