अकबर से लेकर औरंगजेब तक मुगलों ने जिस देशभाषा का स्वागत किया वह ब्रजभाषा थी, न कि उर्दू। -रामचंद्र शुक्ल

मीरा के भजन

 (काव्य) 
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रचनाकार:

 मीराबाई | Meerabai

मीरा के भजनों का संग्रह।

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मेरो दरद न जाणै कोय
चलो मन गंगा-जमना-तीर
श्याम पिया मोरी रंग दे चुनरिया
होरी खेलत हैं गिरधारी

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