विपदाओं से रक्षा करो- यह न मेरी प्रार्थना, यह करो : विपद् में न हो भय। दुख से व्यथित मन को मेरे भले न हो सांत्वना, यह करो : दुख पर मिले विजय।
मिल सके न यदि सहारा, अपना बल न करे किनारा; - क्षति ही क्षति मिले जगत् में मिले केवल वंचना, मन में जगत् में न लगे क्षय।
करो तुम्हीं त्राण मेरा- यह न मेरी प्रार्थना, तरण शक्ति रहे अनामय। भार भले कम न करो, भले न दो सांत्वना, यह करो : ढो सकूँ भार-वय। सिर नवाकर झेलूँगा सुख, पहचानूँगा तुम्हारा मुख, मगर दुख-निशा में सारा जग करे जब वंचना, यह करो : तुममें न हो संशय।
- रवीन्द्रनाथ ठाकुर
[अनुवाद - युगजीत नवलपुरी]
# Children's Literature by Rabindranath Tagore
Ravindranath Ka Bal Sahitya: A selection of Rabindranath Tagore's writings for children. (रवीन्द्रनाथ का बाल साहित्य)
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