डॉ. 'मानव' दोहा, बालकाव्य तथा लघुकथा विधाओं के सुपरिचित राष्ट्रीय हस्ताक्षर हैं तथा विभिन्न विधाओं में लेखन करते हैं। उनके कुछ दोहे यहां दिए जा रहे हैं:
1 ये पत्थर की मूर्तियां, ये पाहन के देव। इनकी पूजा-अर्चना, मुझको लगे कुटेव।।
2 गगन-विहारी देवता, ब्रह्मा-विष्णु-महेश। मिलकर कुछ ऐसा करें, विश्व का मिटे क्लेश।।
3
अब तक जब मांगा नहीं, कभी किसी से दान। फिर तुमसे मां शारदे, मांगूं क्यों अवदान।।
4 देना हो तो दो मुझे, बस इतना वरदान। शब्द-शब्द समिधा बने, अर्थ-अर्थ यजमान।।
5
अग्निधर्मा अर्थ हो, शक्तिधर्मा शब्द। अपने हाथों से लिखूं, कविता का प्रारब्ध।।
6 इतनी विनती और है, देना यह आशीष। कभी याचना के लिये, झुके न मेरा शीश।।
-डॉ. रामनिवास मानव |