(1) कवियों की और चोर की गति है एक समान दिल की चोरी कवि करे लूटे चोर मकान
(2) दोहा वर है और है कविता वधू कुलीन जब इसकी भाँवर पड़ी जन्मे अर्थ नवीन
(3) जिनको जाना था यहाँ पढ़ने को स्कूल जूतों पर पालिश करें वे भविष्य के फूल
(4) भूखा पेट न जानता क्या है धर्म-अधर्म बेच देय संतान तक, भूख न जाने शर्म
(5) दूरभाष का देश में जब से हुआ प्रचार तब से घर आते नहीं चिट्ठी पत्री तार
(6) भक्तों में कोई नहीं बड़ा सूर से नाम उसने आँखों के बिना देख लिये घनश्याम
(7) ज्ञानी हो फिर भी न कर दुर्जन संग निवास सर्प सर्प है, भले ही मणि हो उसके पास
(8) हिन्दी, हिन्दू, हिन्द ही है इसकी पहचान इसीलिए इस देश को कहते हिन्दुस्तान
(9) दूध पिलाये हाथ जो डसे उसे भी साँप दुष्ट न त्यागे दुष्टता कुछ भी कर लें आप
(10) तोड़ो, मसलो या कि तुम उस पर डालो धूल बदले में लेकिन तुम्हें खुशबू ही दे फूल
- गोपालदास नीरज
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