मुट्ठी भर रंग अम्बर में किसने है दे मारा आज तिरंगा दीखता है अम्बर मोहे सारा
आज ब्रज बन जाएगा नगर अपना सारा आज रंगा ले हमसे रे मुखड़ा अपना प्यारा
'बुरा ना मानो होली है' होती आज ठिठोली है आज ना चलने पाएगा जादू कोई तुम्हारा
देखो आज तो होली है भीगी उसकी चोली है करते लोग ठिठोली है, डरे मनवा हमारा
-रोहित कुमार 'हैप्पी'
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