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देखे जो छविजड़ में चेतन कीवही तो कवि
किस्त चुकातेचुक गया जीवनचुके न खाते
दु:ख पाहुनाकुछ लेकर आयादेकर गया
घर में घरआदमी में आदमीफिर भी डर
-डॉ रामनिवास मानव
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