पराधीनता की विजय से स्वाधीनता की पराजय सहस्रगुना अच्छी है। - अज्ञात।

सृजन पर दो हिन्दी रुबाइयां

 (काव्य) 
Print this  
रचनाकार:

 उदयभानु हंस | Uday Bhanu Hans

अनुभूति से जो प्राणवान होती है,
उतनी ही वो रचना महान होती है।
कवि के ह्रदय का दर्द, नयन के आँसू,
पीकर ही तो रचना जवान होती है॥

#

सुगंध जिसमें न हो वो सुमन नहीं होता,
सुरा का घूंट कभी आचमन नहीं होता।
प्रसव की पीड़ा जरूरी है एक माँ के लिए,
बिना तपस्या के लेखन 'सृजन' नहीं होता॥

-उदयभानु 'हंस'
 राजकवि, हरियाणा

Back

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें