अनुभूति से जो प्राणवान होती है, उतनी ही वो रचना महान होती है। कवि के ह्रदय का दर्द, नयन के आँसू, पीकर ही तो रचना जवान होती है॥
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सुगंध जिसमें न हो वो सुमन नहीं होता, सुरा का घूंट कभी आचमन नहीं होता। प्रसव की पीड़ा जरूरी है एक माँ के लिए, बिना तपस्या के लेखन 'सृजन' नहीं होता॥
-उदयभानु 'हंस' राजकवि, हरियाणा |