कवियों की पंक्तियां, श्रोताओं की फब्तियां :
० कारवां गुजर गया, गुबार देखते रहे...... (नीरज) ( तो हम क्या करें, टाइम पर क्यों नहीं आए आप ? )
० जी हां हज़ूर ! मैं गीत बेचता हूं...... (भ० प्र० मिश्र) ( बेचिए जरूर, लेकिन बिक्रीकर का लाइसेंस ले लीजिए हजूर !)
० जाओ, पर संध्या के संग लौट आना तुम...... (सोम ठाकुर ) (शंध्यारानी तो शूटिंग पर गई हैं शोम शाहेब ! )
० भगवान मुझे तुम साली दो...... (गो० प्र० व्यास) ( क्या करोगे ? एक ही बहुत है गुरु !)
० वियोगी होगा पहला कवि...... (पंत जी) (वियोगी हरि से भी पहले कई कवि हो चुके हैं जी !)
० मशाल जलाओ, बड़ा अंधेरा है...... (शि० मं० सि० सुमन ) (ब्लैक आउट है सुमन जी ! )
० प्रिय, एक बार तुम आ जाओ तो आंचल भर सुहाग ओढूँ...... (माया) ( वे नहीं आएंगे, ओढ़ने को कम्बल भेज दिया है !)
० इस पार प्रिये मधु है, तुम हो, उस पार न जाने क्या होगा...... ( बच्चन ) ( बुढ़ापा होगा, और क्या होएगा !)
० चल गई...... (शैल चतुर्वेदी) ( अब बन्द करो चलाना, वरना जो थोड़े-बहुत रह गये हैं, वे भी झड़ जाएंगे ! )
० तुम्हारी कसम मैं तुम्हारा नहीं हूं...... (रंग) (आप हुए भी किसके हैं, श्रीमन् !)
० दरवाजा बन्द किया, खिड़की को खोल लिया...... (स्वामी) ( आपसे और क्या अपेक्षा की जा सकती थी !)
० मेरी नींद चुराने वाले, जा तुझको भी नींद न आए...... ( भारत भूषण ) ( नींद की गोलियां खा लेगा तो क्या कर लोगे ?)
० सो न सका कल याद तुम्हारी आई सारी रात...... (र० ना० अवस्थी ) ( अनिद्रा रोग में ऐसा ही होता है तात !)
० नक्शे पर से नाम मिटा दो पापी पाकिस्तान का...... (बालकवि वैरागी) (जितना बच रहा है, उतना छोड़ दो बेचारे को !)
० सो जा बेटे सो जा, ऐसी कोई बात नहीं है...... (देवराज दिनेश) ( बात कैसे नहीं है, मुझे सब मालूस है डैडी !)
० मैं इसीलिए नित छंद बनाती हूं...... (स्नेहलता ) ( कवि सम्मेलनों के मिलें निमंत्रण नित्य। )
० मेरे देश को बचा लो, मेरे प्राण ले लो, रे ..... ( संतोषानन्द ) (की करना है प्राण, मैनूं तो कविता सुणादे कबीराज )
(जय बोलो बेईमान की; 1973)
- काका हाथरसी
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