देशभाषा की उन्नति से ही देशोन्नति होती है। - सुधाकर द्विवेदी।

जिंदगी की चादर

 (काव्य) 
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रचनाकार:

 अलका सिन्हा

जिंदगी को जिया मैंने
इतना चौकस होकर
जैसे कि नींद में भी रहती है सजग
चढ़ती उम्र की लड़की
कि कहीं उसके पैरों से
चादर न उघड़ जाए।

- अलका सिन्हा

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