विदेशी भाषा के शब्द, उसके भाव तथा दृष्टांत हमारे हृदय पर वह प्रभाव नहीं डाल सकते जो मातृभाषा के चिरपरिचित तथा हृदयग्राही वाक्य। - मन्नन द्विवेदी।

स्वयं से

 (काव्य) 
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रचनाकार:

 रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड

आजकल
तुम
धीमा बोलने लगी
या
मुझे
सुनाई देने लगा
कम?

आजकल
तुम्हारी आवाज
सुनाई नहीं देती!

कहते हैं-
आत्मा
दिखाई नहीं देती।

- रोहित कुमार ‘हैप्पी'

 

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