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चेक बुक हो पीली या लाल,दाम सिक्के हों या शोहरत --कह दो उनसेजो ख़रीदने आये हों तुम्हेंहर भूखा आदमी बिकाऊ नहीं होता है!
-धर्मवीर भारती[सात गीत वर्ष]
Bharat-Darshan, Hindi literary magazine from New Zealand
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