अद्भुत है, अनमोल है, महानगर की भोर रोज़ जगाता है हमें, कान फोड़ता शोर
अद्भुत है, अनमोल है, महानगर की शाम लगता है कि अभी-अभी, हुआ युद्ध विश्राम
अद्भुत है अनमोल है, महानगर की रात दूल्हा थानेदार है, चोरों की बारात
-राजगोपाल सिंह (1 जुलाई 1947- 6 अप्रैल 2014 ) |