बेटी ने 
देश की मिट्टी उठाई 
एक बोतल में रख 
सील लगाई 
सूटकेस में रख 
साथ अपने लाई
जमी रहें जड़ें 
अपनी जगह 
विदेश में रहें 
देश की तरह 
मिट्टी की खुशबू 
भर दे खुशहाली 
देश से जाएँ 
तो क्यों जाएँ ख़ाली
शायद यह बात 
उसके मन में आई 
देश की मिट्टी 
वो साथ अपने लाई।
-रेखा राजवंशी, ऑस्ट्रेलिया
[साभार: कंगारुओं के देश में, किताबघर प्रकाशन, नयी दिल्ली]