एक दिन सभी पंछी ने सोचा हम भी करें पढ़ाई। सुख-दुःख की कथा बांच लें बूझें शब्द अढ़ाई।
मोर पपीहा सुग्गा मैना तीतर बटेर भी आए। बरगद पर लग गई शाला "अ" से अनार गाए।
सबसे बुद्धिमान समझ कौआ को चुना गुरुजी। जोड़-घटाव, गुणा-भाग की कक्षा की गई शुरू जी।।
-- जयप्रकाश मानस
[जयप्रकाश मानस की बाल कविताएं, यश पब्लिशर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स दिल्ली]
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