[अनुवादित कथा-कहानी]
स्कॉटलैंड के राजा रोबर्ट ब्रूस ने अपने समय में कई युद्ध विजयी किए लेकिन एक बार वह अपने शत्रुओं से युद्ध में बुरी तरह पराजित हुआ।
उसके अधिकतर सैनिक मारे गए अथवा बंदी बना लिए गए। उसके महल पर शत्रु सेना का कब्जा हो गया। वह अपने परिवार से भी बिछड़ चुका था।
ब्रूस अपनी जान बचाकर युद्धक्षेत्र से जंगल की ओर भाग गया।
शत्रु सेना जंगल में भी उसका पीछा कर रही थी। ब्रूस घने जंगल में सुरक्षित आश्रय खोजता हुआ एक गुफा में जा पहुंचा। यह जगह उसे अपनी जान बचाने के लिए उपयुक्त लगी।
राजा जैसे-तैसे वहां रहने लगा। वह पूरी तरह हताश व निराश हो चुका था।
एक दिन ब्रूस ने देखा कि एक मकड़ी गुफा के प्रवेश द्वार पर जाला बुन रही थी। वह कुछ दूर चलती, जाला बनाती और फिर गिर पड़ती। ब्रूस इस दृश्य को बड़े ध्यान से देखता रहा।
‘बेचारी!' राजा ने आह भरते हुए कहा। वह सोचने लगा, ‘शायद, यह मकड़ी भी मेरे जैसी परिस्थिति में है।'
ब्रूस के आश्चर्य का ठिकाना न रहा जब उसने देखा कि अंततः मकड़ी ने अपना जाला बुनकर पूरा कर ही लिया।
इस घटना से ब्रूस प्रेरित हुआ व उसमें अभूतपूर्व साहस का संचार हुआ। उसने मकड़ी के बारंबार असफल होने पर भी प्रयत्न न छोड़ने से प्रेरित होकर अपने राज्य के लिए पुनः लड़ने का मन बना लिया था। उसे अपनी सफलता पर अब लेशमात्र भी संदेह न था। उसने फिर सेना संगठित की, नई रणनीति तैयार की और फिर शत्रु पर आक्रमण कर विजय हासिल की।
असफलता से निराश होने की अपेक्षा उसे प्रेरणा बनाकर निरंतर प्रयास करते रहें, तो सफलता अवश्य मिलती है।
भावानुवाद - रोहित कुमार 'हैप्पी' [Robert the Bruce and the Spider] |