जा तू भी हँसता-बसता रह, अपनी कारगुज़ारी में बस मुझको भी खुश रहने दे अपनी चारदीवारी में
जा अपने सपनों को जी ले, तुझको अंबर छुना छू ले मुझको तो आनंद यहीं है, इन फूलों की क्यारी में
जाकर छप्पन भोग लगा ले, पीत्ज़ा-नूडल-बर्गर खा ले मुझको जन्नत मिल जाती है, अम्मा की तरकारी में
उसके तो हाय! हाथ नहीं हैं, साथी छूटे साथ नहीं है तू काहे को मूक खड़ा है, बिना वजह लाचारी में
अस्त्र-शस्त्र तलवार लिए भी, हार गये जीवन का युद्ध हाय! जीवन यूंहीं गंवाया, हम सबने तैयारी में
- रोहित कुमार ‘हैप्पी' न्यूज़ीलैंड |