पराधीनता की विजय से स्वाधीनता की पराजय सहस्रगुना अच्छी है। - अज्ञात।

लक्षण

 (काव्य) 
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रचनाकार:

 अज्ञेय | Ajneya

आँसू से भरने पर आँखें
और चमकने लगती हैं।
सुरभित हो उठता समीर
जब कलियाँ झरने लगती हैं।

बढ़ जाता है सीमाओं से
जब तेरा यह मादक हास,
समझ तुरत जाता हूँ मैं--
'अब आया समय बिदा का पास।'

-अज्ञेय

 

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