भूख-गरीबी करा देती है दूर बड़े करीबी।
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औढ़ू, बिछाऊं भाषण तुम्हारा ये किसे खिलाऊँ? #
सेवक भाई! भाषण देता नहीं, रोटी-कपड़ा!
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जाने दे यार देखा है हमने भी नेताई प्यार। #
सुनाता है तू भूखे को कोई राग दे रोटी-साग!
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सपने अच्छे हैं लेने-देने को पर... पेट भरेंगे?
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भाषण, नारे और कुछ जलसे क्या करते हैं? #
- रोहित कुमार 'हैप्पी' |