यह संदेह निर्मूल है कि हिंदीवाले उर्दू का नाश चाहते हैं। - राजेन्द्र प्रसाद।
भारत-दर्शन :: इंटरनेट पर विश्व की सबसे पहली ऑनलाइन हिंदी साहित्यिक पत्रिका
अब के सावन में शरारत ये मेरे साथ हुईमेरा घर छोड़ के कुल शहर में बरसात हुई
आप मत पूछिए क्या हम पे सफ़र में गुजरीथा लुटेरों का जहाँ गाँव, वहाँ रात हुई
ज़िंदगी-भर तो हुई गुफ़्तगू ग़ैरों से मगरआज तक हमसे हमारी न मुलाक़ात हुई
हर ग़लत मोड़ पे टोका है किसी ने मुझकोएक आवाज़ तेरी जब से मेरे साथ हुई
मैंने सोचा कि मेरे देश की हालत क्या हैएक कातिल से तभी मेरी मुलाक़ात हुई
-नीरज[हिंदी ग़ज़ल शतक, किताबघर प्रकाशन]
Bharat-Darshan, Hindi literary magazine from New Zealand
भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?
यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें
इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें