कूड़े के ढेर से कुछ चुनते हुए बच्चे को देख एक चित्रकार ने करूणामय चित्र बना डाला।
कवि ने एक मार्मिक रचना रच डाली।
एक कहानीकार ने 'उसी बच्चे' पर कालजयी कहानी कही।
जनता ने प्रदर्शनी में चित्र, मंच पर कविता, और पत्रिका में छपी कहानी को ख़ूब सराहा।
पर उस बच्चे ने चित्र, कविता और कहानी से क्या पाया?
वो अब भी लगा है... वहीं कूड़े के ढेर से कुछ खोजने में । उसे कुछ मिला, नहीं !!!
- रोहित कुमार 'हैप्पी' |