डॉ. 'मानव' हाइकु, दोहा, बालकाव्य तथा लघुकथा विधाओं के सुपरिचित राष्ट्रीय हस्ताक्षर हैं तथा विभिन्न विधाओं में लेखन करते हैं। उनके कुछ हाइकु यहाँ दिए जा रहे हैं:
१)
मोटी कमाई; देश तो है बकरा, नेता कसाई ।
२)
धक्कमपेल, चल रहा देश में कुर्सी का खेल ।
३)
पहनी खादी, तिजोरी भरने की मिली आजादी ।
४)
चेहरों पर मुखौटे-ही-मुखौटे, मैं-तुम कौन ?
५)
हिन्दू-मुस्लिम, जैन-बोद्ध-ईसाई, किसके भाई !
६)
हिंसा का दौर, शहरों में बसते आदमख़ोर ।
७)
सौ-सौ फ़क़ीर, लेकिन है एक भी नहीं कबीर ।
८)
कैसी दलील ! जज तो हैं बहरे, अंधे वकील ।
९)
काम न धंधा गले में ग़रीब के भूख का फंदा ।
१०)
फटी कमीज़ उधड़े सब धागे; क्या होगा आगे !
- डा. रामनिवास मानव
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