अब से ऐसा ही हो जाये भले किसी को पसंद न आये ... स्कूल में लग जाये ताला दें बस्तों को देश निकाला होमवर्क जुर्म घोषित हो, कोई परीक्षा ले न पाये ... दिन भर केवल खेलें खेल जो डाँटे उसको हो जेल खट्टा-मीठा खारा-तीता, जो चाहे जैसा वह खाये ... हरदम चले हमारी सत्ता हो दिल्ली चाहे कलकत्ता हम मालिक अपनी मर्जी के, हर गलती माँ-बाप को भाये ... मौसी-मामी, नाना-नानी रोज सुनायें नयी कहानी हम पंछी हैं, हम तितली हैं, गीत हमारा ही जग गाये ... अब से ऐसा ही हो जाये भले किसी को पंसद न आये ...
- जयप्रकाश मानस
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