हफ्तों उनसे मिले हो गए विरह में पिलपिले हो गए
सदके जूड़ों की ऊँचाइयाँ सर कई मंजिले हो गए
डाकिये से 'लव' उनका हुआ खत हमारे 'डिले' हो गए
परसों शादी हुई, कल तलाक क्या अजब सिलसिले हो गए
उनके वादों के ऊँचे महल क्या हवाई किले हो गए
नौकरी रेडियो की मिली गीत उनके 'रिले' हो गये
हाशिये पर छपी जब ग़ज़ल दूर शिकवे-गीले हो गए
-अल्हड़ बीकानेरी |