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चन्द्र हरता हैनिशा की कालिमा,हृदय की देताउसे है लालिमा॥
किन्तु होकर लोक-निन्दा से अशंक,निशा देती हैउसे अपना कलंक॥
-पदुमलाल पुन्नालाल बख़्शी
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