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सड़कों पे ढले साये दिन बीत गया, राहेंहम देख न उकताये!
सड़कों पे ढले साये जिनको न कभी आना,वे याद हमें आये!
सड़कों पे ढले सायेजो दुख से चिर-परिचितकब दुख से घबराये!
-उपेन्द्रनाथ अश्क
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