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राम, तुम्हें यह देश न भूले,धाम-धरा-धन जाय भले ही,यह अपना उद्देश न भूले।निज भाषा, निज भाव न भूले,निज भूषा, निज वेश न भूले।प्रभो, तुम्हें भी सिन्धु पार सेसीता का सन्देश न भूले।
-मैथिलीशरण गुप्त [स्वदेश संगीत ]
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