सुबह उठे कि दिये बाँग 
मुर्गे जी महाराज 
आप जगे औरों को जगाये
कर ऊंची आवाज।
फट-फट-फट फिर कुकररूँ कूँ
ज़ोरों से गोहराये 
एक नहीं पर सब मुर्गे 
अपनी आवाज उठायें।
बाँग दिये फिर चले ढूँढने
इधर-उधर अनाज 
मुर्गी बच्चों की टोली में
मुर्गे जी महाराज।
-सुभाष मुनेश्वर, वैलिंगटन
 न्यूज़ीलैंड
 ई-मेल : smuneshwar@gmail.com
