भारत-दर्शन :: इंटरनेट पर विश्व की सबसे पहली ऑनलाइन हिंदी साहित्यिक पत्रिका
छँटने लगे हैं बादलधुंध होने लगी कम,नई सुबह की है आहटबदलने लगा मौसम। दिखने लगा रास्तामिटने लगा है भ्रम,जीवन की घोर बाधाएँदृढ़ता के सामनेपड़ने लगी हैं कम। प्रकृति के साथ-साथजीवन का भीबदलने लगा जीवन।
- रमेश पोखरियाल 'निशंक' [संघर्ष जारी है]
भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?
यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें
इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें