फिल्म चल रही थी। जो व्यक्ति अभिनय कर रहा था, न भाव उसके थे, न स्वर और संगीत, यहाँ तक कि फिल्म की पटकथा और संवाद भी किसी और के लिखे हुए थे तथा उसे निर्देशित भी कोई और ही कर रहा था।
मुझे लगा, वह अभिनेता कोई और नहीं, मैं स्वयं हूँ और मैं कोई फिल्म नहीं देख रहा, बल्कि अपनी ही कहानी सुन रहा हूँ।
-डॉ. रामनिवास ‘मानव' भारत |