सीमा पार से निरन्तर घुसपैठ जारी है। 'वसुधैव कुटुम्बकम' नीति यही तो हमारी है।
2) दलदल में धंसा है। आरक्षण और तुष्टिकरण के, दो पाटों के बीच में भारत अब फंसा है।
3) लूट-खसोट प्रतियोगिता कब से यहां जारी है। कल तक उन्होंने लूटा था, अब इनकी बारी है।
4) देश के संसाधनों को राजनीति के सांड चर रहे हैं, और उसका खामियाजा आमजन भर रहे हैं।
5) मेरा भारत देश सचमुच महान है। यहाँ अष्टाचारियों के हाथ में सत्ता की कमान है।
6) जो नेता बाहर से लगते अनाड़ी हैं, लूट-खसोट के वे माहिर खिलाड़ी हैं।
7) वे कमीशन का कत्था, चूना रिश्वत का लगाते हैं। इस प्रकार देश को ही पान समझकर खाते हैं।
8) देश को, जनता को, सबको छल रहे हैं। नेता नहीं, वे सांप हैं, आस्तीनों में पल रहे हैं।
9) नेताजी झूठ में ऐसे रच गये, सच को भी झूठ कहकर साफ बच गये।
10) नेता बाहर रहे या रहे जेल में, वह पारंगत है सत्ता के हर खेल में।
11) उन्होंने गांधी टोपी पहन अनागिरी क्या दिखाई कल तक 'दादा' थे, आज बने हैं 'भाई'।
12) जो कई दिनों से था अस्पताल में पड़ा हुआ, खर्च का बिल देखते ही भाग खड़ा हुआ।
13) क्या छोटे हैं और क्या बड़े हैं, सभी यहां बिकने को तैयार खड़े हैं।
14) झूठ जाने क्या-क्या सरेआम कहता रहा और सिर झुकाकर सच चुपचाप सहता रहा।
-डॉ रामनिवास मानव, भारत |