यह संदेह निर्मूल है कि हिंदीवाले उर्दू का नाश चाहते हैं। - राजेन्द्र प्रसाद।
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जो कुछ लिखना चाहा थावह लिख न कभी मैं पाया जो कुछ गाना चाहा थावह गीत न मैं गा पाया। मुझको न मिला अवसर हीअपने पथ पर चलने का था दीप पड़ा झोली मेंअवसर न मिला जलने का।जो दीप न जल पाता हैवह क्या प्रकाश फैलाये जिसको न मिला अवसर हीवह गीत भला क्या गाये।
-कमलाप्रसाद मिश्र[फीजी के हिंदी साहित्यकार]
Bharat-Darshan, Hindi literary magazine from New Zealand
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