प्रेमचंद की बात हो तो डॉ कमलकिशोर गोयनका से चर्चा अपेक्षाकृत है। दिल्ली के ज़ाकिर हुसैन कॉलेज से अवकाश प्राप्त डॉ. गोयनका प्रेमचंद साहित्य के मान्य विद्वान एवं प्रामाणिक शोधकर्ता हैं। प्रेमचंद पर उनकी अनेक पुस्तकें व लेख प्रकाशित हो चुके हैं। साहित्य अकादमी द्वारा प्रकाशित प्रेमचन्द ग्रंथावली के संकलन एवं सम्पादन में उनका विशेष योगदान रहा है। डॉ. कमल किशोर गोयनका केंद्रीय हिंदी शिक्षण मंडल के वर्तमान उपाध्यक्ष हैं।
अधिकतर लोग समझते हैं कि प्रेमचंद आर्थिक तौर पर कमज़ोर थे लेकिन यह सत्य नहीं है चूंकि उनके निधन उपरांत भी उनके बैंक में पर्याप्त राशि थी। उसके बारे में कुछ बताएं!
"हाँ, मैंने प्रेमचंद के गरीब न होने पर लिखा था। डा. रामविलास शर्मा ने लिखा है कि प्रेमचंद गरीबी में पैदा हुए, गरीबी में जिन्दा रहे और गरीबी में ही मर गये। यह सर्वथा तथ्यों के विपरीत है।"
"कुछ प्रमाण प्रस्तुत हैं:-
- उनका पहला वेतन 20 रुपये मासिक था वर्ष 1900 में जब 4-5 रुपये में लोग परिवार चलाते थे। उन्होंने लिखा है कि यह वेतन उनकी ऊँची से ऊँची उडान में भी नहीं था।
- प्रेमचंद ने फरवरी, 1921 में सरकारी नौकरी से इस्तीफा दिया था। तब उनका वेतन था 150 रुपये मासिक। उस समय सोना लगभग 20 रुपये तोला (लगभग 11.5 ग्राम) था। आप सोचें आज की मुद्रा में कितना रुपया हुआ ?
- प्रेमचंद ने अपनी एकमात्र पुत्री कमलादेवी के विवाह में ( 1929 में) लगभग सात हजार रूपये खर्च किये थे। इसकी जानकारी मुझे स्वयं कमलादेवी ने दी थी।
- वर्ष 1929 के आसपास लमही गाँव में प्रेमचंद ने 6-7 हजार रुपये लगाकर मकान बनवाया था।
- 'माधुरी' पत्रिका के सम्पादक बने तो वेतन था 150 रुपये मासिक।
- बम्बई की फिल्म कम्पनी में नौकरी की वर्ष 1934-35 में तब वेतन था 800 रुपये मासिक। लौटने पर बेटी के लिए हीरे की लौंग लेकर आये थे। आज की धनराशि में 800 रुपये लगभग 6-7 लाख के बराबर है।
- प्रेमचंद के पास दो बीमा पालिसी थीं। उस समय यह बहुत बडी बात थी।
- प्रेमचंद ने वर्ष 1936 में रेडियो दिल्ली से दो कहानियों का पाठ किया और उन्हें 100 रुपये पारिश्रमिक मिला। आज उस समय के 100 रुपये लगभग एक लाख के बराबर होंगे।
- प्रेमचंद की मृत्यु के 14 दिन पहले उनके दो बैंक खातों में लगभग 4500 रुपये थे।"
"ये सारे तथ्य उपलब्ध दस्तावेज़ों के आधार पर हैं। उनकी जीवनी से इन तथ्यों को गायब करने का क्या औचित्य था ? प्रगतिशील लेखकों को इससे बडा आघात लगा और वे आज तक मुझे गालियाँ दे रहे हैं पर वे यह नहीं कहते कि ये तथ्य झूठे हैं। वे इन्हें सत्य मानते हैं लेकिन उद्घाटन करने पर गालियाँ देते हैं। इसे ही वे वैज्ञानिक आलोचना कहते हैं । उनकी तकलीफ यह है कि उनकी झूठी स्थापनाओं की कलई खुल गयी है।"
क्या मुंशी प्रेमचंद की लघुकथाओं के बारे में कुछ बता सकते हैं? क्या प्रेमचंद लघुकथाकार भी थे या उनकी रचनाएं केवल संयोगमात्र से लघु-कथा की श्रेणी में आ गईं?
"लघुकथा प्रेमचंद ने लिखी हैं। मैं इसकी चर्चा कर चुका हूँ। लघुकथाओं का संकलन भी निकल चुका है।"
क्या प्रेमचंद की रचनाओं में कुछ पात्रों द्वारा कही गई कविताएं भी प्रेमचंद की लिखी हुई हैं?
"प्रेमचंद ने कबीर, सूरदास और महादेवी वर्मा की कविताओं का उपयोग किया है और रंगभूमि उपन्यास में एक गीत स्वयं भी लिखा है।"
"आपके सभी प्रश्नों का उत्तर दे दिया है। आप चाहें तो बहस चला सकते हैं परन्तु ध्यान रहे शोध कार्य में भावुकता नहीं चलती, तथ्य चलते हैं।"