साँप!तुम सभ्य तो हुए नहींनगर में बसनाभी तुम्हें नहीं आया।एक बात पूछूँ- (उत्तर दोगे?)तब कैसे सीखा डँसना-विष कहाँ पाया?- अज्ञेय