यह संदेह निर्मूल है कि हिंदीवाले उर्दू का नाश चाहते हैं। - राजेन्द्र प्रसाद।

धरती की उत्पत्ति (कथा-कहानी)

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Author: रोहित कुमार ‘हैप्पी'

सामोअन लोगों का मानना है की पहले केवल आकाश और पानी ने पृथ्वी को ढका हुआ था। एक बार तांगालोआ (सामोअन देवता) ने आकाश से नीचे की ओर देखा। उन्होंने अपने खड़े होने के लिए एक जगह बनाने का विचार किया। उन्होंने एक चट्टान का निर्माण किया ताकि वे उस पर आराम कर सकें। इसके बन जाने पर वे बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने सोचा इस इससे अतिरिक्त भी कुछ और जगह का निर्माण किया जाए, जहाँ वे विश्राम कर सकें। उन्होंने इस चट्टान को दो भागों में विभक्त कर दिया। यही दो चटाने सामोआ की सवाई और उपोलु बनी इसी से आगे टोंगा फीजी और अन्य द्वीप बने।

जब तांगालोआ ने अपना काम समाप्त कर लिया तो वे सामोआ लौट गए। उन्होंने सवाई द्वीप और मानुआ द्वीप के बीच की दूरी नापी तो उन्हें लगा की यह दूरी बहुत अधिक है। इसी कारण उन्होंने इन दोनों के बीच में एक और चट्टान बना दी, जो द्वीप के मुखियाओं के काम के लिए रखी गई।

तांगालोआ ने चट्टानों पर फैलने के लिए एक पवित्र बेल उगा दी । इस लता के पत्ते गिरने और उनके गलने से कुछ केचुओं की उत्पत्ति हुई। तांगालोआ ने देखा कि धरती पर ऐसे कृमि उत्पन्न हुए हैं जिनके न तो सिर थे, न ही पैर और न ही उनमें जीवन का कोई आभास था। देवता ने नीचे आकर इनके सिर, पैर और हाथ लगाए। इन्हें एक धड़कता हुआ दिल उपलब्ध करवाया। इस प्रकार ये केंचुए मनुष्य बन गए। तांगालोआ देवता ने एक-एक नर और नारी को प्रत्येक द्वीप पर भेजा। उसने ‘सा’ नामक नर (आदमी) और ‘वाई’ नामक ‘नारी’ (औरत) को एक द्वीप में भेजा। इसी से इस द्वीप का नाम ‘सवाई’ हुआ। ‘उ’ और ‘पोलू’ को दूसरे स्थान पर रखा गया और इसे उपोलू के नाम से जाना जाने लगा। दंपति टूटू और इला, टुटुइला के पहले निवासी थे। ‘टो’ और ‘गा’ जिस जगह पर भेजे गए वह स्थान टोगा यानी टोंगा कहलाया। एक अन्य दंपत्ति ‘फी’ और ‘ती’ को जहां बसाया गया, वह जगह ‘फीती’ यानी ‘फीजी’ कहलाई।

इसके बाद तांगालोआ ने विभिन्न लोगों को भिन्न-भिन्न द्वीपों पर शासन करने के लिए नियुक्त किया।

[सामोआ की लोक-कथा]

-रोहित कुमार 'हैप्पी'
 न्यूज़ीलैंड

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