हिंदी समस्त आर्यावर्त की भाषा है। - शारदाचरण मित्र।

थाईलैंड में हिंदी (विविध)

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Author: शिखा रस्तोगी 

गूंजे हिंदी विश्व में स्वप्न हो साकार ,थाई देश की धरा से हिंदी की जय-जयकार
हिंदी भाषा का जयघोष है सात समुंदर पार, हिंदी बने विश्व भाषा दिल करे पुकार।

वैश्वीकरण के इस युग में सांस्कृतिक आदान-प्रदान की प्रक्रिया अति सहज स्वाभाविक आवश्यक और महत्वपूर्ण हो गई है। सांस्कृतिक अभिव्यक्ति की सशक्त माध्यम भाषा है। सांस्कृतिक आदान-प्रदान की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी भी भाषा है। सांस्कृतिक संबंधों को प्रगाढ़ और घनिष्ठतम बनाने में भाषा की भूमिका सर्वदा सार्थक और सकारात्मक रही है। भाषा मनुष्य के संपूर्ण व्यक्तित्व का महत्वपूर्ण एवं प्रभावशाली साधन है। मानव के संप्रेषण एवं अभिव्यक्ति का प्रमुख आधार भाषा ही है।जो भाषा जितनी खुली होती है वह उतनी ही विकसित होती है। स्वच्छंद सी आकाश रूपी विश्व में चांद रूपी हिंदी विचरण करती है तो उसके विकसित होने का आभास स्वतः ही हो जाता है। खुले आकाश में चमकते सितारों के मध्य चांद को देखना एक अलग अनुभव देता है। विभिन्न सितारों के मध्य चांद की आभा विलक्षण होती है। ठीक उसी प्रकार विश्व रूपी आकाश में चांद रूपी हमारी हिंदी सुशोभित है जो विभिन्न भाषाओं रूपी सितारों के मध्य अपनी आभा फैला रही है। हमारी मातृभाषा हमारी और हमारे देश की पहचान है। आन- बान और शान है। हिंदी के बढ़ते हुए अंतरराष्ट्रीय वर्चस्व को देखते हुए हम कह सकते हैं कि विश्व फलक पर हिंदी रूपी पुष्प अपनी सुगंध चहूँ और फैला रहा है।

वर्तमान में विश्व फलक पर हिंदी भाषा का प्रचार- प्रसार बहुत तेजी से होने लगा है। यह मधुर भाषा विश्व भाषा के रूप में अग्रसर होती जा रही है। अत्यंत प्रसन्नता की बात है कि दक्षिण पूर्व एशिया के सुंदर देश थाईलैंड में हिंदी भाषा का सामाजिक और सांस्कृतिक स्तर पर विकास हो रहा है। थाईलैंड में रहने वाले भारतीय और थाई लोग देश की सभ्यता और संस्कृति के साथ-साथ हिंदी भाषा के प्रति भी सजग हो रहे हैं।इस संदर्भ में हिंदी चलचित्र, हिंदी सीरियलों की महत्ती भूमिका है। यहां के लोगों में खासतौर से युवा पीढ़ी में हिंदी चल- चित्रों के प्रभाव से हिंदी के प्रति लगाव और श्रद्धा दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। बॉलीवुड सिनेमा उसके गाने नृत्य के प्रति दीवानगी चरम सीमा पर है। घर -घर में थाई लोग हिंदी चलचित्र बड़े शौक से देखते हैं जैसे अशोका, चंद्रगुप्त ,नागिन, महाभारत और रामायण सीरियल बड़े प्रसिद्ध है ।इसी तरह भारतीय संस्कृति के विभिन्न पहलुओं रीति-रिवाजों, देवी-देवताओं ,मेहंदी, कुमकुम, आरती और प्रसाद आदि के बारे में उनकी जिज्ञासा पूर्ण प्रश्न बड़ी खुशी और आत्मीयता से पूछे जाते हैं। जिसका उत्तर पाकर उसमें निहित सुंदर भावों को सुनकर हिंदी भाषा के अध्ययन के प्रति उनका रुझान बढ़ जाता है।

इसी का परिणाम है कि थाईलैंड में कई विश्वविद्यालयों में हिंदी भाषा के अध्ययन अध्यापन की व्यवस्था है जैसे सिलपाकॉर्न विश्वविद्यालय, महाचुलालोंगकोर्न राज विद्यालय बौद्ध भिक्षु विश्वविद्यालय, प्रिदीपानो मान्ग धमासास्त्र विश्वविद्यालय, चुलालोंगकोर्न विश्वविद्यालय,कसासास्त्र विश्वविद्यालय और चिंयागमाई विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि लेने के बाद वे स्नातकोत्तर और पीएचडी करने के लिए भारत जाते हैं। हर वर्ष भारतीय दूतावास की सहायता से महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय ,नॉर्थ ईस्टर्न हिल विश्वविद्यालय शिलांग ओर सेंट्रल इंस्टीट्यूट हिंदी आगरा आदि संस्थानो में छात्र अध्ययन के लिए जाते हैं।

थाई भारत सांस्कृतिक आश्रम ,ऐसा संस्थान है जो हिंदी को विश्वव्यापी बनाने की यात्रा में अपनी सक्रिय भूमिका अदा कर रहा है ।‘हिंदी बने विश्व भाषा मूल मंत्र’ का पालन करते हुए गत 12 वर्षों से मैं भी इस अभियान से जुड़ी हुई हूं।यहाँ छात्र पूर्ण निष्ठा से ना केवल हिंदी सीखते हैं बल्कि भाषा के कौशलो में दक्ष भी बनते हैं ।यह संस्था हिंदी भाषा के माध्यम से भारत और थाईलैंड के सांस्कृतिक संबंधों को सुदृढ़ करने में सेतु का काम कर रही है। यहां हिंदी भाषा की कक्षा के साथ-साथ अनेक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। उन समारोह के माध्यम से भारत की संस्कृति को मजबूत बनाने का प्रयास किया जाता है। कवि सम्मेलन, भाषण प्रतियोगिता, कविता पाठ और नाटक आदि समय-समय पर आयोजित होते हैं। हिंदी को घर-घर तक पहुंचाना ही मुख्य ध्येय हैं। इसमें थाई युवा वर्ग बढ़-चढ़कर भाग लेता है ।जिससे हिंदी के प्रति प्रेम जागृत होता है। विदेशी धरा पर थाई लोगों को हिंदी बोलते, पढ़ते देख मन बहुत प्रसन्न होता है।

स्वामी विवेकानंद सांस्कृतिक केंद्र, बैंकॉक में विभिन्न राष्ट्रीयता प्राप्त विद्यार्थी हिंदी भाषा सीख रहे हैं। हिंदी के प्रति सकारात्मक रवैया मेरे लिए सुखद अनुभव है ।उन लोगों की जुबान से हिंदी सुन मैं मंत्रमुग्ध रह जाती हूं।। विद्यार्थियों के साथ केवल हिंदी में बात करती हूं। हिंदी भाषा की वैज्ञानिकता मधुरता व स्पष्टता के कारण हिंदी भाषा छात्रों के लिए सरल हो जाती है। कई भाषाई पृष्ठभूमियों के छात्रों को हिंदी सीखने में सर्वाधिक सहायक हिंदी भाषा की वैज्ञानिकता है।जैसे उच्चारण और लेखन की एकरूपता ।जैसा बोलते हैं वैसा लिखते हैं। स्वर और व्यंजनों के क्रमिक उच्चारण स्थान एक वर्ण के लिए एक ही ध्वनि और मात्राओं का तर्कसंगत प्रयोग।

थाईलैंड हिंदी परिषद, थाई एवं भारतीयों को ऐसा मंच प्रदान करती है जहाँ सभी हिंदी में अपने मन के भावो को कविता, भजन, कहानी, लोकगीत द्वारा प्रकट करते हैं।ये संस्था हिंदी के प्रचार-प्रसार में महत्पूर्ण भूमिका निभा रही है। थाई छात्र संस्था द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में बढचढकर भाग लेते है।वे कहानी, कविता और भारत के बारे में हिंदी में बोलते है।

भारत सरकार द्वारा हिंदी भाषा के अध्ययन के लिए भेजी गई पुस्तकें सुगम और आकर्षक है, जो हिंदी भाषा को सरलता से सिखाने में महत्वपूर्ण है। चित्र के साथ शब्द का अर्थ लिखा है जो छात्रों की शब्द संपदा बढ़ाने में सहायक है। वे हिंदी भाषा बोलने, लिखने, समझने और सामान्य वार्तालाप में सक्षम हो जाते हैं।उनका यह भाषिक कौशल उनके द्वारा समय-समय पर किए गए नाटकीय प्रस्तुतियों में देखा जा सकता है जैसे-भारत दर्शन, नेताजी ,स्वामी विवेकानंद, यादगार लिफ्ट आदि। विशेष बात यह है ये सब थाई है।जो हिंदी संस्थान समय-समय पर कई प्रतियोगिताएं आयोजित करता है। जिसमें छात्र बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं ।विद्यार्थियों को भाषा कौशल दिखाने के लिए कई अवसर मिलते हैं।यह केंद्र थाई -भारत मैत्री को मजबूत करने की अटूट कड़ी है। हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार के माध्यम से भारत की सांस्कृतिक पताका को विश्व पटल पर फहराने के लिए दृढ़ संकल्प है।छात्र भारतीय दूतावास द्वारा आयोजित योग, नृत्य और वादन में रुचि रखते हैं। रंग बिरंगी होली, प्रकाश पर्व दीपावली को हमारे साथ प्रसन्नता से मनाते है।

हिंदी दिवस तथा विश्व हिंदी दिवस क्रमशः 14 सितंबर को 10 जनवरी को मनाते हैं। यह समारोह भारतीय दूतावास द्वारा बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। हिंदी के विभिन्न कार्यक्रम किए जाते हैं। विद्यार्थी इसमें बढ़-चढ़कर अपनी भागीदारी सुनिश्चित करते हैं। भारतीय दूतावास के द्वारा उनके उत्साहवर्धन के लिए प्रशंसा पत्र दिए जाते हैं।

थाईलैंड में विद्यालय स्तर पर कई विद्यालयों में द्वितीय भाषा के रूप में हिंदी का अध्ययन अध्यापन होता है। उनमें मुख्यत सीबीएसई पाठयक्रम का विद्यालय ग्लोबल इंडियन इंटरनेशनल स्कूल, पायोनीर इंटरनेशनल स्कूल,थाई सिक्ख इंटरनेशनल स्कूल आदि ।यहां छात्र पूरे मनोयोग से हिंदी सीखते हैं।

थाईलैंड के लोगों में भारतीय संस्कृति के प्रति जिज्ञासा और आकर्षण अत्यधिक है ।वर्तमान में डिजिटल क्रांति के कारण अपने देश में रहते हुए भी यहां के निवासी भारतीय संस्कृति के सुंदर व गरिमा पहलुओं को देखते हैं।जिससे भारत दर्शन की उनकी लालसा और प्रबल हो जाती है। हिंदी भाषा दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक संबंधों को प्रगाढ़ बनाने तथा पर्यटन को बढ़ावा देने की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।यही संस्कृति की संवाहिका भाषा का श्रेष्ठतम पक्ष तथा महत्वपूर्ण उपलब्धि है ।

मैं उन स्वप्नदर्शियों में से एक हूँ जो अक्सर सपने देखते हैं। उनके साकार होने तक उन में खोए रहते हैं। मेरा सपना था कि मैं राष्ट्र की सेवा करूं। यह सपना साकार हुआ थाईलैंड में आकर। मेरे लिए बड़े गौरव की बात है कि हिंदी भाषा का प्रसार थाईलैंड में हो रहा है। थाईलैंड और भारत में सांस्कृतिक समानताएं हैं ।जिस वजह से हिंदी भाषा को सीखने की ललक युवाओं में अधिक है । थाईलैंड में हिंदी समृद्ध है। युवाओं के लिए रोजगार का माध्यम है। पर्यटन के लिहाज से प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में पर्यटक थाईलैंड से भारत और भारत से थाईलैंड आते हैं। इस दौरान एक-दूसरे के संवाद बनाने और संस्कृति को समझने के लिए हिंदी अहम भूमिका निभाती है।

थाईलैंड में हिंदी अध्यापन करते हुए मैंने महसूस किया है कि विश्व स्तर पर विस्तृत होती हिंदी के सकारात्मक और सही विस्तार के लिए हम हिंदुस्तानियों की जिम्मेदारी है कि हम अपनी हिंदी का मान और सम्मान करें क्योंकि हिंदी केवल भाषा नहीं संस्कृति की वाहिका है।

हिंदी हमारी अस्मिता है
हिंदी हमारा मान।
हिंदी से ही होती है
हम सब की पहचान।

-शिखा रस्तोगी 

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*शिखा रस्तोगी का जन्म नोहर राजस्थान में हुआ। बी.एड हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर राजस्थान विश्वविद्यालय, विधि स्नातक राजस्थान विश्वविदयालय। आकाशवाणी सूरतगढ में विभिन्न विषयों पर वक्तव्य। विगत दो दशको से हिंदी अध्यापन से जुड़ी हैं। हिंदी अध्यापन के साथ-साथ हिंदी सभाओं का आयोजन एवं संयोजन। पत्र-पत्रिकाओ में कविता और आलेख प्रकाशित। सोशल मीडिया के विभिन्न् मंचो पर सक्रिय। साहित्य मे विशेष रूचि। कवि गोष्ठियों में सक्रिय सहभागिता।
सम्प्रति-जी. आई.आई.एस.बैंकॉक,थाईलैंड में हिंदी विभागाध्यक्ष।

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