यदि पक्षपात की दृष्टि से न देखा जाये तो उर्दू भी हिंदी का ही एक रूप है। - शिवनंदन सहाय।

अल्लामा प्रभु की कविताएं (काव्य)

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Author: अल्लामा प्रभु

हाय!  हाय शिव
आपने मुझे जन्म क्यों दिया?
क्या आप मेरी जगह उड़ा नहीं सकते थे
कोई वृक्ष या झाड़ी?


#


व्यास एक मछली पकड़ने वाले के पुत्र थे
मार्कण्डेय जाति-च्युत थे जन्म से ही 
चिंता मत करो जाति की
अगस्त्य वास्तव में चिड़ीमार थे
और दुर्वासा गांठते  थे जूता। 


#

कमल के कोष में
पैदा हुई मधुमक्खी
वह बाहर निकली
और उसने निगल लिया आसमान को
उसके पैरों के हिलने से
तीनो लोग उल्टे टंग गए
हवा में।

#

जबकि  देह 
स्वयं एक भव्य मंदिर है
जरूरत क्या है किसी दूसरे मंदिर की?

#

ओ गुहेश्वर 
यदि तुम पत्थर हो
तो फिर मैं क्या हूं?

#

अतीत के कवि
मेरी रखैल के बेटे हैं
भविष्य के कवि
मेरी करुणा के बच्चे
आकाश के कवि
मेरे पालने में झूल रहे हैं
ब्रह्म और विष्णु मेरे सगे संबंधी हैं
और तुम मेरे श्वसुर होओ गुहेश्वर
और मैं तुम्हारा दामाद।

-अल्लामा प्रभु


अल्लामा प्रभु 12वीं सदी के कन्नड़ संत और एक प्रसिद्ध कवि थे। वह लिंगायत संप्रदाय से संबंध रखते थे और उन्होंने शिव पूजा बल दिया। अल्लामा प्रभु की कविताओं में मुख्य रूप से आध्यात्मिक शक्तियों, मंदिर पूजा और धार्मिक प्रथाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है। लगभग 1,300 भक्ति गीतों के सृजन का श्रेय उन्हें दिया जाता है। आपने प्राचीन अनुष्ठानों की आलोचना की और अस्पृश्यता और जातिगत भेदभाव का विरोध किया। अल्लामा का निधन आंध्र प्रदेश में हुआ था।

अल्लामा मूलत: कन्नड़ शब्द है जिसका अर्थ है, 'ढोल बजाने वाला।'

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