मोहन खेल रहे हैं होरी । गुवाल बाल संग रंग अनेकों, धन्य धन्य यह होरी ।। वो गुलाल राधे ले आई, मन मोहन पर ही बरसाई । नन्दलाल भी लाल होगये, लाल लाल वृज गौरी ।। गुवाल सखा सब चंग बजावे, कृष्ण संग में नांचे गावें । ऐसी घूम मचाई कान्हा, मस्त मनोहर जोरी ।। नन्द महर घर रंग रंगीला, रंग रंग से होगया पीला । बहुत सजीली राधे रानी, वे अहिरों की छोरी ।। शोभा देख लुभाये शिवजी, सती सायानी के है पिवजी । शिवदीन लखी होरी ये रंग में, रंग दई चादर मोरी ।।
-शिवदीन राम
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