मोटू हाथी देह विशाल मन मोहे मस्तानी चाल
जो लड़ता हो जाता ढेर जंगल का राजा है शेर
देख भयानक काला साँप अच्छे-अच्छे जाते काँप
रंग-बिरंगी सुन्दर तितली सबका चित्त चुराने निकली
काले-काले बदरा घोर पंख सजाकर नाचे मोर
लम्बी गर्दन लम्बे पैर ऊँट कराये रेत पे सैर
काला कौआ चतुर सुजान काली कोयल मीठी तान
बड़े शौक से मिर्ची खाता तोता रट्टा खूब लगाता
बेहद कोमल गुदगुदा खरगोश पे सब फ़िदा
है मानों मासूम परी नन्ही-प्यारी गिलहरी
सीधा, शांत, निरन्तर काम फिर भी गधा बड़ा बदनाम
खौं-खौं करके नकल उतारे बन्दर मामा सबसे न्यारे
चीते से मत लेना होड़ सबसे तेज लगाता दौड़
नन्ही चींटी बड़ी मेहनती आलस क्या है, नहीं जानती
मित्र किसानों का कहलाता केंचुआ मिट्टी खाद बनाता
वीर-योद्धा करते यारी घोड़ा सबसे शान सवारी
बिन पैसे का चौकीदार कुत्ता बेहद वफादार
दूध जैसी श्वेत काया हंस ने मन स्वच्छ पाया
सीधी-सच्ची मेरी गइया इतनी अच्छी जैसे मइया
इनको भी है खुद से प्यार कभी न इन पर करो प्रहार।।
- प्रशान्त अग्रवाल सहायक अध्यापक प्रा. वि. डहिया विकास क्षेत्र फतेहगंज पश्चिमी, बरेली (उत्तर प्रदेश) ई-मेल: agprashant1978@gmail.com
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