यह संदेह निर्मूल है कि हिंदीवाले उर्दू का नाश चाहते हैं। - राजेन्द्र प्रसाद। 

हम होंगे सबमें पास (बाल-साहित्य )  Click to print this content  
Author:अभिषेक कुमार अम्बर

हम होंगे सबमें पास
हम होंगे सबमें पास
हम होंगे सबमें पास
एक दिन
हो..हो..हो..

सोते है बिंदास,
लिखते है बकवास,
फिर भी है विश्वास,
मार्क्स मिलेंगें झक्कास...
एक दिन...
हो..हो..हो..

सबके अलग अलग एजेंडें,
आजमाते नए नए हथकंडे,
कजब पेपर में आते अण्डे,
चलते टीचर जी के डण्डे,
फिर भी रखते पूरी आस...
हम होंगे सबमें पास...
एक दिन...
हो..हो..हो..

व्हाट्सएप पर होता है सवेरा,
फेसबुक पर डालते है डेरा,
पुस्तक न आती हमें रास,
करते खुद से हैं अरदास,
न हमें इस झंझट में फ़ांस,
हम होंगे सबमें पास...
एक दिन...
हो..हो..हो..

- कवि अभिषेक कुमार अम्बर
ई-मेल : abhishekkumar474086@gmail.com

 

Previous Page
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें