हम होंगे सबमें पास हम होंगे सबमें पास हम होंगे सबमें पास एक दिन हो..हो..हो..
सोते है बिंदास, लिखते है बकवास, फिर भी है विश्वास, मार्क्स मिलेंगें झक्कास... एक दिन... हो..हो..हो..
सबके अलग अलग एजेंडें, आजमाते नए नए हथकंडे, कजब पेपर में आते अण्डे, चलते टीचर जी के डण्डे, फिर भी रखते पूरी आस... हम होंगे सबमें पास... एक दिन... हो..हो..हो..
व्हाट्सएप पर होता है सवेरा, फेसबुक पर डालते है डेरा, पुस्तक न आती हमें रास, करते खुद से हैं अरदास, न हमें इस झंझट में फ़ांस, हम होंगे सबमें पास... एक दिन... हो..हो..हो..
- कवि अभिषेक कुमार अम्बर ई-मेल : abhishekkumar474086@gmail.com
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