अकबर से लेकर औरंगजेब तक मुगलों ने जिस देशभाषा का स्वागत किया वह ब्रजभाषा थी, न कि उर्दू। -रामचंद्र शुक्ल
चंदामामा के पूर्व संपादक बालशौरि रेड्डी नहीं रहे  (विविध)  Click to print this content  
Author:भारत-दर्शन संकलन

15 सितंबर (भारत):  तेलुगु एवं हिंदी के सुप्रसिद्ध साहित्यकार तथा बच्चों की प्रिय पत्रिका 'चंदामामा' के पूर्व संपादक बालशौरि रेड्डी का निधन हो गया। वे 87 वर्ष के थे।  प्रख्यात लेखक का आकस्मिक निधन हो गया। उन्होंने तबीयत खराब होने की शिकायत की थी लेकिन डॉक्टर के पास जाने से पहले ही उनका निधन हो गया।

वे तेलगु के अतिरिक्त हिंदी के लिए समर्पित थे। वे तेलगु व हिंदी दोनों को अपनी मातृभाषा बताया करते थे। वे दक्षिण भारत व उत्तर भारत के बीच एक साहित्यिक सेतु थे।

बालशौरि रेड्डी का जन्म एक जुलाई 1928 को आंध्र प्रदेश के गोल्लल गूडूर में हुआ था। ये 23 वर्ष तक चंदामामा के संपादक रहे और इस दौरान उन्होंने इस पत्रिका को नई दिशा दी। उन्होंने 100 से अधिक पुस्तकें लिखी हैं जिनमें 14 मौलिक उपन्यास, आलोचनात्मक कृतियां, अनूदित रचनाएं इत्यादि सम्मिलित हैं। डॉ० रेड्डी ने बालसाहित्य के अतिरिक्त उपन्यास, कहानी, निबंध, समालोचना व नाटक विधाओं में साहित्य सृजन किया।

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