मैं दोराहे के बीच खड़ा था और वे दोनों मुझे डसने को तैयार थे। एक तरफ साँप था और दूसरी तरफ आदमी। मैंने ज्यादा विचारना उचित नहीं समझा। सोचा साँप शायद ज़हरीला न हो या शायद उसका डंक चूक जाए लेकिन आदमी से तो मैं भली-भाँति परिचित था। ....और मैं साँप वाले रास्ते की ओर बढ़ गया। - रोहित कुमार 'हैप्पी'
[साभार : दैनिक पंजाब केसरी ]
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