राष्ट्रभाषा के बिना आजादी बेकार है। - अवनींद्रकुमार विद्यालंकार।
मंत्र  (कथा-कहानी)  Click to print this content  
Author:शैल चन्द्रा

नवनियुक्त क्लर्क हेमराज अपने अन्य बाबूओं की ठाठ-बाठ देख हतप्रभ था और अपनी दीनता पर मायूस।

बड़े बाबू ने उसके कान में एक मंत्र दिया। उस मंत्र का असर ऐसा हुआ कि हेमराज के भी ठाठ-बाठ हो गए। उसने सायकल छोड़ दी। अब वह बाइक से कार्यालय आने लगा।

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